*राजनेता देश में मेहनतकश सभ्य नागरिक नहीं बल्कि "परजीवी" तैयार कर रहे हैं!*
मुफ़्तखोरी की ख़ैरात कोई भी पार्टी अपने फ़ंड से नही देती, वह यह प्रलोभन और लुभावने वायदे टैक्स दाताओं के द्वारा देश के विकास के लिए दिए गए पैसो का इस्तेमाल कर के करती हैं, और अपनी राजनीति को चमकाती है।
मुफ़्त दवा, मुफ़्त जाँच, मुफ्त बस यात्रा, मुफ्त मैट्रो रेल यात्रा, मुफ़्त राशन, मुफ़्त शिक्षा, मुफ्त विवाह, मुफ्त जमीन के पट्टे, मुफ्त मकान बनाने के पैसे, बच्चा पैदा करने पर पैसे, बच्चा पैदा नहीं (नसबंदी) करने पर पैसे, मुफ्त स्कूल में खाना, मुफ्त बिजली, मुफ्त तीर्थ यात्रा आदि आदि।
"जन्म से लेकर मृत्यु तक सब मुफ्त। नौकरी या व्यवसाय देने की जगह मुफ़्त बाँटने की होड़ मची है, फिर कोई काम करना क्यों पसंद करेगा ?
क्या देश का विकास मुफ्त मुफ़्त देकर अपनी राजनीति करने से होगा या नौकरी और व्यवसाय के संसाधन देने से ?
क्या आज के राजनेता और खास तौर से आप पार्टी देश में ऐसी पीढ़ी तैयार नहीं कर रहे हो रही है या जो पूर्णतया मुफ़्तखोर होगी!
अगर आप कल को उन्हे काम करने को कहेंगे तो वो क्या काम करेंगे या गाली दे कर कहेंगे कि सरकार क्या कर रही है?
मुफ़्तखोरी की ख़ैरात कोई भी पार्टी अपने फ़ंड से नही देती, वह यह प्रलोभन और लुभावने वायदे टैक्स दाताओं के द्वारा देश के विकास के लिए दिए गए पैसो का इस्तेमाल कर के करती हैं, और अपनी राजनीति को चमकाती है।
यह राजनेता देश में मेहनतकश सभ्य नागरिक नहीं बल्कि "परजीवी" तैयार कर रहे हैं!
देश का हाड़तोड़ मेहनत और अपनी अक्ल लगाकर ईमानदारी से कमाने और टैक्स के रूप में देश के विकास के लिए पैसा भरने वाला बहुसंख्यक मुफ़्तखोर समाज को कब तक पालेगा और कैसे पालेगा ?
जिस दिन आर्थिक समीकरण फ़ेल होगा और सरकार फ्री देने में सक्षम नहीं रहेंगी तब तक इन राजनेताओं द्वारा बनाई गई यह मुफ़्तखोर पीढ़ी काम करने लायक नहीं रहेंगी और जिस ने जीवन में कभी मेहनत की रोटी नही खाई होगी, हमेशा मुफ़्त की खा कर बड़ा हुआ होगा उसे जब मुफ्त की नही मिलेगी तब यह सब या तो नक्सली बन जाएंगे या उग्रवादी, इस तरह के मुफ्तखोर आत्महत्या करना तो पसंद करेंगे परन्तु काम नही !
सोचने की बात है कैसे राजनीतिक दल अपने राजसता के लोभ में समाज और देश का निर्माण कर रहे हैं ?
देश के सभी नागरिकों से टोलवा अनुरोध करता है इस फ्री की राजनीति करने और अपने राजसता के लिए जो हमारे देश के नागरिकों को मुफ्तखोर (परजीवी) बना रहें हैं
उनसे फ्री की जगह अपना हक और आत्मसम्मान मांगें ।
नौकरियां और व्यवसाय के संसाधन मांगें ।
गम्भीरता से चिंतन करिये, क्या हम सही रास्ते पर हैं ?
*राजनेता देश में मेहनतकश सभ्य नागरिक नहीं बल्कि "परजीवी" तैयार कर रहे हैं!*
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