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Wednesday, 9 March 2016

भारत में देश विरोधी कार्यक्रम तो हो सकते हैं, लेकिन विश्व शांति के लिए श्रीश्री रवि शंकर का आध्यात्मिक कार्यक्रम नहीं।


आगामी 11 से 13 मार्च के बीच दिल्ली में यमुना नदी के किनारे विश्व सांस्कृतिक उत्सव होना है। भारत के आध्यात्म से जुड़े इस कार्यक्रम का आयोजन आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रवि शंकर के द्वारा किया जा रहा है। यमुना किनारे इस कार्यक्रम की तैयारियां पिछले छह माह से लगातार चल रही हैं। लेकिन अंतिम दिनों में एक सुनियोजित तरीके से कार्यक्रम का विरोध शुरू हो गया है। भारतीय संस्कृति से जुड़े इस कार्यक्रम के विरोध से प्रतीत होता है कि भारत में देश विरोधी कार्यक्रम तो सफलता के साथ आयोजित हो सकते हैं, लेकिन जिस कार्यक्रम से दुनियाभर में भारत का मान सम्मान बढ़े उस कार्यक्रम का होना मुश्किल है। विश्व सांस्कृतिक उत्सव में दुनिया भर के कोई 35 लाख लोग शामिल होंगे। 
कार्यक्रम के लिए डीडीए आदि सरकारी महकमों से अनुमति भी ली गई है। बड़े कार्यक्रम को देखते हुए ही सेना ने भी मदद की है। पर्यावरण का ध्यान रखते हुए यमूना नदी में सीमेंट क्रांकीट के बिना लकड़ी के पुल बनाए गए हैं। इतना ही नहीं कार्यक्रम के बाद यमुना किनारे एक लाख पेड़ भी आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यकर्ता लगाएंगे। जिस स्थान पर यह कार्यक्रम हो रहा है, वह गंदगी से भरा हुआ था। क्षेत्रीय नागरिकों का भी मानना है कि कार्यक्रम की वजह से यमुना नदी की सफाई हुई है। खुद श्रीश्री रवि शंकर का कहना है कि कार्यक्रम का उद्देश्य ही पर्यावरण को सुरक्षित रखना है तो फिर हम यमुना नदी को गंदा कैसे कर सकते हैं। उन्होंने चल रहे विरोध पर आश्चर्य व्यक्त किया है। 
6 मार्च को कोलाकाता में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में खुलेआम देश के कानून और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भी आपत्ति जताई गई। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज गांगूली ने तो देश को नीचा दिखाने के लिए आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर ही सवालिया निशान लगा दिए। कार्यक्रम में जिस तरह से अतिथियों ने भारत के खिलाफ बोला, उससे साफ प्रतीत हो रहा था कि देश के हालात अच्छे नहीं है। देश में ऐसी ताकते मजबूत होती जा रही है, जो देश की एकता अखंडता को तोडऩा चाहती हैं। सवाल ये नहीं है कि श्रीश्री रवि शंकर के कार्यक्रम से यमुना प्रदूषित होगी या नहीं? सवाल यह है कि क्या इस देश में ऐसे कार्यक्रम नहीं हो सकते, जो भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए हैं। सब जानते हैं कि श्रीश्री रवि शंकर ने अपने आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से दुनियाभर में भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार किया है। आज श्रीश्री के दुनियाभर में शिष्य हैं और भारतीय संस्कृति का लोहा मानते हैं। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आमआदमी पार्टी की सरकार है। यह कहने की जरुरत नहीं कि केजरीवाल सरकार भी श्रीश्री के कार्यक्रम का विरोध कर रही है। यह विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि हैं। जिस कार्यक्रम में नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि हो, उसे तो केजरीवाल होने ही नहीं देंगे। यह बात अलग है कि अभी मोदी ने इस कार्यक्रम में जाने का निर्णय नहीं लिया है। लेकिन श्रीश्री के कार्यक्रम को लेकर केन्द्र सरकार का कोई विरोध नहीं है। इसी लिए सेना ने भी आयोजन में मदद की। यदि केन्द्र सरकार सहमत नहीं होती तो सेना के जवान यमुना नदी में लकड़ी का पुल बनाने का काम नहीं करते। 

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि श्रीश्री का कार्यक्रम होता है तो इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की संस्कृति का परचम ही फैलेगा

Lalit Matta

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