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Sunday, 13 December 2020

#किसानआंदोलन

#किसानआंदोलन

हिन्दुस्तान का तो भगवान ही मालिक है...!!!

लिखना नहीं चाह रहा था....
मजबूरी वश लिखना पड़ा।

किसान-किसान लगा रखा है.. 
किसान भगवान है क्या?? 

किसान अन्न का उत्पादन लोगों का पेट भरने के लिए करता है या अपने घर वालों का पेट भर सके - इसलिए करता है??

किसान किसका पेट भरता है?? 
अगर किसान पेट भरता है....
तो पिछले 9 महीने से सरकार फ्री में राशन 
क्यों बांट रही है? 
किसको बांट रही है?
अन्नदाता तो किसान है ना? 
तो वो क्यों नहीं बांट रहा?
क्यों नहीं 70 साल में अमीर हो गया?
क्यों साल के 6 हजार ले रहा है?

किसान होना एक पेशा है....
कोई समाजसेवा नहीं है। 
किसान अन्नदाता है... 
इसलिए उसका धन्यवाद करना चाहिए!

मैं पूछता हूँ क्यों?

जिसने कपड़े बनाए उसका धन्यवाद क्यों नहीं करना चाहिए? अगर कपड़े ना होते तो सब लोग नंगे घूमते - वनमानुष की तरह!

जिसने बर्तन बनाए, 
बिजली बनाई, 
मोबाइल बनाया, 
सडकें बनाईं, 
पेन, पेन्सिल कागज बनाए -
उनका धन्यवाद क्यों नहीं करना चाहिए?

जो पढ़ा - लिखाकर किसी लायक बनाता है -
उसका क्यों नहीं? 
जो इलाज करता है - उसका क्यों नहीं? 
जो बाल काटता है - उसका क्यों नहीं? 
जो सफ़ाई कर्मचारी हैं - उनका क्यों नहीं?

ज़िन्दगी में हर काम का अपना महत्व है...
और हर काम करने वाला उतना ही महत्वपूर्ण।

जब धरती पर खेती - बाड़ी नहीं होती थी...
तब भी लोग थे...
ज़िंदा थे...
शिकार करके खाते थे। 

पेट भरना भगवान का काम है।
84 लाख योनियों का पेट कैसे भरना है...
ये ज़िम्मेदारी किसानों की नहीं है....
ये जिम्मेदारी परमपिता परमेश्वर की है।

हमारे देश में जिसे भगवान का दर्जा दे दो...
वही सिर पर चढ़कर बोलने लगता है। 

मैं नहीं मानता...
ईश्वर के सिवा किसी अन्य को भाग्य विधाता। 
सब अपना अपना कर्म कर रहे हैं। 
जिस काम के बदले हमें धन मिलता हो...
वो व्यापार है....
समाजसेवा नहीं। 
ये ढकोसले खतरनाक हैं....
बन्द होने चाहिए। 

MSP की गारंटी दो....
मंडी की गारंटी दो....

अगर फ़िर भी ना मानें....
तो शाहीन बाग की सुरखियाँ बना दो...
भगाओ वहां से....

जीने का अधिकार सभी लोगों को है...
हर महीने....
कोई ना कोई....
सड़कें बन्द करके बैठ जाता है।

जिनके टैक्स के पैसों से फ्री का राशन बटोरते हो...
वो कौन हैं?
जो बड़ी - बड़ी कम्पनियां बनाकर तुम्हारे बच्चों को नौकरी देते हैं...
वो कौन हैं?

क्यों उनके काम में अड़ंगे डालते हो?
क्यों उन्हें काम नहीं करने देते?

जब वे काम ही नहीं करेंगे....
तो टैक्स कहाँ से देंगे...
और जब टैक्स नहीं देंगे....
तो सरकार फ्री के राशन - पानी - बिजली और 
सब्सिडी के खाद- बीज - लोन - कहाँ से देगी ? 

जिसे देखो....
उसने तमाशा बनाकर रख दिया है! 
मजाक बना दिया है कानून का!

जब जी चाहा भारत बंद...
जब जी चाहा रेल बंद...
जब जी चाहा सड़कें बंद...

और फिर पटरियां उखाड़ो...
बसें जलाओ...
आंतक फैलाओ...
और अगर कुछ हो जाए....
तो सरकार के मत्थे दोष मढ़ दो.

ये रेल और पटरियां....
ये बस और ये सड़कें....
तुम्हारे बाप - दादा की जागीर नहीं हैं!
करोड़ों लोगों की खून - पसीने की कमाई लगी है इनमें. 

जमीन को न अम्बानी ले जाएगा.... 
और न ही अडानी! 
इस बात का कोई तुक नहीं है! 
व्यापारी हैं....
देश सुरक्षित रहेगा....
तो व्यापार से धन कमा लेगा....

ये पूंजीपति हैं....
पैसा लगाकर व्यापार करते हैं...
देश को आगे बढ़ाने में अपनी जिंदगी खपा देते हैं।

टाटा समूह इसका प्रमाण है।
कभी देखा है इनको - 
सड़कें जाम करते....
और रेल रोककर पटरियां उखाड़ते?

अब समय आ गया है कि 
माननीय सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे...
और शाहीन बाग से भी कठोर निर्णय अमल में लाकर इस देश द्रोही अभियान का पटाक्षेप करे।

"""""""""""""""""""  धन्यवाद """""""""""""""""""00

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